क्या भारत चीनको हरा सकता है?

 

हाँ। चीन को भारत हरा सकता है, क्योंकि भारत दुनिया के बड़ी महाशक्तियों की यादी में शामिल है और जीतने मित्र देश भारत के साथ है उनमे भी कई बड़े देश है जो कि इस युद्ध में भारत को सहायता कर सकते है और भारत को इस युद्ध में विजय प्राप्त हो जाएगा।

 

भारत का पलड़ा कई चीज़ों में भारी है। भारत अगर सावधानी से रणनीति बनाए और सीधे मुकाबले के साथ ही चीन को अप्रत्यक्ष तौर पर भी दबाव में ले तो ड्रैगन को हराया जा सकता है। ये हो सकता हे l

चीन को हराने के लिए भारत चीन की ही एक पुरानी रणनीति को आजमा सकता है। पेंटागन में पूर्व रणनीतिकार और अभी सेंटर फॉर न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी में सीनियर फेलो चेरिस डोहर्टी मानते हैं कि यह रणनीति भारत के काम आ सकती है। उनके मुताबिक चीन के पास भारत से बड़ी सेना है, जो तकनीक के मामले में आगे है। बावजूद इसके चीन की तरह ही हिट एंड रनकी रणनीति अपनाकर भारत अपने पड़ोसी को सबक सिखा सकता है। और जित सकता हेl

भारतीय सेना में डायरेक्टर जनरल इंफ्रेंट्री रह चुके लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी (रिटायर्ड) कहते हैं कि हमारे सैनिक पहाड़ों की लड़ाई लड़ने में सक्षम हैं। चीन ने वियतनाम वॉर के बाद यानी करीब 48 साल से कोई लड़ाई नहीं लड़ी है। उसके पास टेक्नॉलजी जरूर है, लेकिन पहाड़ों में उसे अप्लाई करना बहुत मुश्किल है। चीनी सैनिकों को तंग गलियों से ही गुजरना है और जब वह तंग गलियों से गुजरेंगे तो घात लगाकर उन पर हमला हो सकता है। चीन कभी भी भारत के साथ पहाड़ों में नहीं लड़ेगा।

मलक्का स्ट्रेट है ड्रैगन की कमजोर कड़ी
चीन को भारत हिंद महासागर में भी घेर सकता है। मलक्का स्ट्रेट उसकी कमजोर कड़ी है। चीन का लगभग सारा ट्रेड इसी रास्ते से होता है और यह मलक्का स्ट्रेट से गुजरता है। हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के बीच मुख्य शिपिंग लाइन मलक्का स्ट्रेट है। यह एक संकरा समुद्री गलियारा है, जो 2.8 किलोमीटर चौड़ा है। यहां से हर साल एक लाख शिप गुजरते हैं यानी हर पांच मिनट में एक शिप। इसमें सबसे ज्यादा शिप चीन के हैं।

चीन के कुल तेल का करीब 80 फ़ीसदी आयात मलक्का स्ट्रेट के संकरे समुद्री गलियारे से होता है। इसी का विकल्प तलाशने के लिए वह पाकिस्तान पर नजरें लगाए है और वहां कई परियोजनाएं विकसित कर रहा है। चीन जहां मलक्का स्ट्रेट का विकल्प तैयार करना चाहता है, वहीं भारत ने अपनी अंडमान और निकोबार कमान को इसके मुहाने पर तैनात किया है। चीन समंदर में कमजोर है। इसलिए यहाँ घेरा जा सकता हे

लेफ्टिनेंट जनरल कुलकर्णी कहते हैं कि अगर भारत मलक्का स्ट्रेट पर चीन के लिए दिक्कत खड़ी कर दे तो उसका तेल बंद हो जाएगा। इसी बात का चीन को डर भी है। इसलिए वह चीन-पाकिस्तान इकॉनमी कॉरिडोर बना रहा है ताकि उसे हिंद महासागर पर निर्भर न रहना पड़े।

इंडियन नेवी के पूर्व प्रवक्ता कैप्टन डीके शर्मा (रिटायर्ड) कहते हैं कि भारत हिंद महासागर में चीन के लिए प्रेशर पॉइंट बना सकता है। यहां भारत का पूरा कंट्रोल है। चीन को अप्रत्यक्ष रूप से सबक सिखाया जा सकता है।

दुनिया भी भारत के साथ
लेफ्टिनेंट जनरल कुलकर्णी कहते हैं कि भारत के पड़ोसियों के बीच चीन अपनी एक छवि बनाने की कोशिश कर रहा है। उसकी छवि को महामारी ने वैसे ही जबदरस्त झटका दिया है। वह भारत के साथ लड़ेगा और मार खाएगा तो उसकी बहुत हानि होगी। भारत और चीन के बीच युद्ध की स्थिति में बाकी देश चुप नहीं बैठेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि वह मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं। भारत और चीन, दोनों ने इसे नकार दिया है। लेकिन अमेरिका का यह कहना एक तरह से चीन को मेसेज देना है। युद्ध के हालात होने पर अमेरिका और रूस जैसे देश भारत का साथ देंगे

पारंपरिक युद्ध में भारत भारी
कैंब्रिज बेस्ड बेलफर सेंटर फॉर साइंस एंड इंटरनैशनल अफेयर्स ने भारत और चीन की सैन्य ताक़त को लेकर एक रिसर्च की। इसमें कहा गया है कि पारंपरिक युद्ध होने की स्थिति में चीन पर भारत भारी पड़ेगा। आमने-सामने की लड़ाई के लिए भारतीय सैनिक ज्यादा तैयार हैं। इस रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय वायुसेना चीन से काफी आगे है। चीन के कब्जे वाले तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में स्थित एयरबेस 14 हज़ार फीट की ऊंचाई पर है।

वैसे तो तिब्बत पठारी इलाक़ा है, लेकिन समुद्र तल से इसकी ऊंचाई ज्यादा है और यही वजह है कि इस ऊंचाई पर चीन के विमान फुल पेलोड के साथ नहीं उड़ सकते यानी कि उसमें फ्यूल भी कम रखना होगा। साथ ही हथियार भी। इसके उलट भारतीय वायुसेना के ज्यादातर एयरबेस मैदानी इलाकों में हैं और वह फुल पेलोड के साथ उड़ान भर सकते हैं यानी अपनी पूरी क्षमता के साथ। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन को अपने सैनिकों और फाइटर की तैनाती से पहले रूस को भी ध्यान में रखना पड़ेगा। वह उस फ्रंट को इग्नोर कर सारी ताकत यहां नहीं लगा सकता, जबकि भारत की नज़र सिर्फ चीन पर होगी।

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